मैं पहले से ही किसी पर भरोसा नहीं करता था। क्योंकि मैं जानता था कि इंसान की जात ही भरोसे के लायक नहीं है। ये जानकारी मुझे कहां से मिली, ये जज़्बा मेरे अंदर कहां से आया, कह पाना मुश्किल है। पर जब से मैं अपने पैरों पर खड़ा हुआ, तब से, मैं किसी पर भरोसा नहीं करता था। आज एक बार फिर से मेरे भरोसे को मेरे ही एक दोस्त ने पक्का कर दिया।
मेरे अज़ीज दोस्तों में से एक है। साथ काम करते करते ही दोस्त बने। वैसे मेरे लिए दोस्त की परिभाषा थोड़ी अलग है। शादी से पहले श्वेता ने मुझ से पूछा, तुम्हारा सबसे अच्छा दोस्त कौन है, तो जवाब सुन कर काफी हैरान हुई। मैंने कहा, मैं अपना सबसे अच्छा दोस्त हूं। किसी एक व्यक्ति पर हाथ रख कर ये नहीं कहा जा सकता है ये मेरा सबसे अच्छा दोस्त है। स्कूल में कोई और था, कॉलेज में कोई और, दिल्ली में कोई और, मुंबई में कोई और। आज भी, किसी एक व्यक्ति के लिए पूरे भरोसे के साथ ये नहीं कह सकता कि वो मेरा सबसे अच्छा दोस्त है। तुम कोशिश करो, शायद तुम पर वो भरोसा बने।
बीते 5 सालों में तो नहीं बन पाया है।
खैर, बात मेरे दोस्त की हो रही थी। शायद उसकी शादी टूट जाए। हां, थोड़ी हैरानी और दुखी करने वाली खबर है, पर सच भी है। जिससे शादी की, अब उसका मोहभंग हो गया है। हां, सही पढ़ा, मोहभंग लड़के का नहीं, लड़की का हो गया है। उसे लगता है कि शादी एक जबरदस्ती है। इतना ही नहीं, मेरे दोस्त पर उस लड़की का भरोसा भी नहीं रहा है। भरोसा…एक बार फिर से, यही सबसे अहम भूमिका में है। जितना भरोसा ज्यादा, उतनी मुश्किल ज्यादा।
लड़की को लग रहा है कि वो एक कमरे में बंद है। शादी के कमरे में। उस कमरे में खिड़की है, दरवाजा है, ठंडी हवा है, सुख साधन हैं, बाहर आने जाने की मनाही नहीं है, जब मन आए जाए, जब मन आए वापस आए, और इतना ही नहीं, उस कमरे में दूसरों के लिए भी जगह है (आम तौर पर शादियों में पति पत्नि के बीच कोई नहीं होता। लेकिन यहां ऐसा कोई बंधन नहीं है।) पर फिर भी…. फिर भी वो एक कमरा है, जिसमें चार दीवारें हैं, एक छत है, तो खुली हवा में वो बात नहीं है। इतना सब होने के बाद भी, लड़की को कमरे में घुटन हो रही है।
और अब उसने तय किया है कि वे इस कमरे से बाहर निकलेगी, और हमेशा बाहर ही रहेगी। खुली हवा में। नीले आकाश के नीचे। जहां उस पर कोई बंधन ना हो। जहां, कोई सवाल करने वाला ना हो, और जहां, उसे किसी को जवाब ना देने हों।
पर इस सब के बीच, लड़का परेशान है। सवाल तो उसने भी कभी नहीं पूछे, जवाब तो उसने भी कभी नहीं मांगे। वो तो लड़की की हर खुशी में खुश था। अब अचानक से क्या हुआ।
असल में लड़की ने लड़के को ये भी कह दिया, कि भई अब मुझे तुम्हारी ज़रूरत महसूस नहीं होती। तुम हो या नहीं हो, मुझे फर्क नहीं पड़ता, और इसलिए मुझे लगता है कि अब हमें अलग हो जाना चाहिए। शायद हमारी राहें अलग अलग हैं। शादी के 2 साल बाद, शायद लड़का ये सुनने के लिए तैयार नहीं था।
लेकिन एक बात और, चूंकि कमरे का दरवाजा खुला है, औऱ कोई भी कमरे में आ सकता है, ये आपके ऊपर निर्भर है कि आप किसे और कितना अंदर आने देते हैं, दोनों ने एक दूसरे पर भरोसा जताया है। लेकिन राहें अलग होने की वजह से लड़का, कुछ भटका, और मानवीय जरूरतों के आगे, उसने एक दिन घुटने टेक दिए। उसने वो कर दिया, जो शायद शादीशुदा ज़िंदगी में ना किया जाए, तो अच्छा है। खास तौर पर भारत में, भारतीय मानसिकता वाले घरों में तो ना ही किया जाए तो ठीक है। और उसके इस कदम ने, शायद लड़की को तोड़ कर रख दिया। अब लड़की घर छोड़ने वाली है।
लड़के का तर्क है कि वो मजबूर था, हालात कुछ ऐसे थे कि वो कुछ नहीं कर पाया, औऱ बह गया। पर आज बात कर के पता चला कि ये स्थिती सिर्फ लड़के की नहीं है। लड़की भी पहले ये गलतियां कर चुकी है।
और लड़के ने नज़रअंदाज कर दी??? कुछ समझ नहीं आई बात। क्या वो भी इंतज़ार कर रहा था, कि कभी मुझे भी मौका मिले, तो मैं भी कुछ कर गुजर जाउं?? शायद ही विचार, इस परिस्थिती के लिए ज़िम्मेदार है। पता नहीं ये सही है या नहीं।
फिलहाल स्थिती ये है कि दोनों के बीच बातचीत बंद है, और इसलिए, अब हमारे मित्र ने भी घर छोड़ने का फैसला कर लिया है, और वो आज हमारे घर रहने आने वाले हैं। अपना, खुद का, खरीदा हुआ घर छोड़ कर, हमारे किराए के गरीब खाने पर।
लड़के का कहना है कि लड़की सब कुछ अपने मन के हिसाब से कर रही है, और शायद उसे एक झटके की ज़रूरत है। लड़का, अचानक से घर छोड़ कर चला जाएगा, तो वो झटका, लड़की को सोचने पर मजबूर करेगा, और फिर शायद बात बन जाए।
पर क्या लड़की बात बनाने के लिए तैयार है? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। क्योंकि अब वो क्या सोच रही है, ये कह पाना मुश्किल है। कल ही मेरी और उसकी बात हुई, तो उसने मुझ से कहा,
“यार, तुम्हें नहीं लगता कि marrige is a failed institution??”
मैं थोड़ा सकपकाया, फिर संभल कर कहा,
“नहीं, मुझे नहीं लगता। शादी के बारे में मेरे विचार थोड़े अलग हैं। ”
“पर शादी के 3 साल बाद, आज भी तुम अकेले रह रहे हो, तुम्हें जरूरत क्या है अपने साथी की? क्यों खुद को बांधे हुए हो? या फिर मेरा ही एग्जाम्पल ले लो, क्या तुम्हें लगता है कि मुझे और तुम्हारे दोस्त को जरूरत थी शादी करने की? मुझे नहीं लगता।”
“पर मैंने इतने शॉर्ट टर्म मुनाफे के लिए शादी नहीं की है। मेरा एक परिवार होगा, जब वक्त आएगा। तब तक मैं, अपनी बैचलर लाइफ जी रहा हूं, औऱ मेरी पत्नि भी। मुझे नहीं लगता कि शादी कर के हमने कोई गलती की है। और फिर ज़रूरतों की जहां तक बात है, अगर हम प्यार में होते, और शादी ना करते, तो भी जो नियम अभी पाल रहे हैं, शायद तब भी पाल रहे होते। क्योंकि हमारा कमिटमेंट है। और हां, परिवार तो मेरा भी होगा, आज नहीं पांच साल बाद होगा, पर मैं उसके लिए इंतजार करने को तैयार हूं, और साथ ही उस परिवार की नींव अभी पड़ रही है, एक दूसरे से दूर रह कर।”
जाहिर है, वो मेरी बात से सहमत तो नहीं थी, पर फिर भी वो मुस्कुराई, और फिर चली गई। चर्चा का कोई निकाल नहीं निकला।
मुझे सबसे ज्यादा कोफ्त जिस बात से हो रही है, वो ये है कि जब दोनों में प्यार हुआ था, और शादी का प्लान बना, क्या तब ये सब बातें नहीं सोची गईं?? तब क्यों सब कुछ अच्छा था? आदमी हो या औरत, दिल के क्यों प्यार करते हैं? और अगर कर ही रहे हैं, तो उसे दिमाग से परखते क्यों नहीॆं? ये सोच कर शादी क्यों नहीं करते कि उम्र भर साथ रहेंगे? अमेरिका के रास्ते पर क्यों चलना चाहते हैं, कि एक उम्र में चार पांच शादियां नहीं की, तो क्या पाया? क्या अमेरिकी लोग, इस परंपरा के साथ खुश हैं? जवाब होगा, नहीं। वो भारत और चीन का रुख कर रहे हैं, क्योंकि यहां पर संयुक्त परिवार होते हैं। यहां से सीखने को बहुत कुछ है। और हम….. हम लोग अमेरिका की तरफ जा रहे हैं।
No, I don’t think marrige is a failed institution. Not till now at least.